Monday, July 9, 2012

بیشک ھم آگے بھی موزیللہ اور اردو زبان کے لئے کام کرتے رہینگے

बेशक फैज़ल, हम आगे भी मोज़िल्ला और उर्दू के लिए काम करते रहेंगे। फ़ैजल काफी जोशो-खरोश वाले हैं और एआईएमएस के और सभीलोग भी उन्हीं जैसे हैं और इसलिए हम इसे बिना किसी संकोच के कह सकते हैं कि उर्दू के लिए आगे बढ़ा उनका यह कदम कई और लोगों के साथ मिलकर एक आंदोलन बनेगा और फिर हम फ़ायरफ़ॉक्स से शुरूआत कर ओपनसोर्स के अलग-अलग एप्लीकेशन पर भी उर्दू की मौज़ूदगी देख पाएँगे।

शनिवार 7 जुलाई को आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में AIMS की टीम ने साबित कर दिया कि इकट्ठा होकर यानी एक साथ मिलकर शानदार कार्यक्रम कैसे किए जा सकते हैं। फ़ायरफ़ॉक्स के लोगो की एक बेहद खूबसूरत रंगोली की बात करें, छात्रों की उपस्थिति, उनकी लगन, योजना, संचालन सभी कुछ काफी उम्दा था। हमने अमनप्रीत आलम और सलीम अंसारी के साथ पहले भी उर्दू लोकलाइजेशन के लक्ष्य को लेकर वॉलेंटियर्स को तलाशने की कोशिश की थी परंतु सफलता हाथ नहीं लगी थी। लेकिन इस पूरे कार्यक्रम के दौरान करीब सौ लोग आए थे। हैंड्स-ऑन सेसन में भी उपस्थिति काफी जोरदार थी। लोगों ने पूटल पर अपना खाता बनाया, उर्दू भाषा के फ़ायरफ़ॉक्स लोकलाइजेशन के लिए वहाँ चुनाव किया और कुछ अनुवाद कर सुझाव के रूप में कमिट भी किया। उर्दू लोकलाइजेशन की स्थिति ख़ासकर ओपनसोर्स पर काफी अच्छी नहीं कही जा सकती है और स्वयंसेवकों का अभाव एक प्रमुख कारण रहा है। फैज़ल और उनके साथियों का उत्साह देखकर उम्मीद की जा सकती है कि उर्दू के लिए हम कुछ उत्साही पाएँगे जो ओपनसोर्स में कुछ बढ़िया योगदान जरूर करेंगे। AIMS के सभी लोगों को प्रोग्राम की सफलता की बहुत-बहुत बधाई।

1 comment:

Faisal Aziz said...

आदरणीय राजेश जी,
आपका ब्लॉग पढ़कर मुझे बहुत प्रसंता हुई ! आपने और अमन जी ने मोज्फेस्ट पुणे में आकर और अपना बहुमूल्य समय देकर हमारे कार्यक्रम की शोभा बड़ाई उसके लिए हम आभार प्रकट करते है ! उर्दू भाषा के लिए हमारा यह प्रयास आपके मार्गदर्शन और प्रेरणा के बिना सफल नही हो पाता ! आपने ही इस दिशा में अग्रसर होने की प्रेरणा दी और हम सबका मनोबल बढाया! यह एक कटु सत्य है की ५ राज्यों की राज्य भाषा और ९०० साल पुरानी होने का गौरव प्राप्त होने के बावजूद भी ,यह भाषा आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है ! में आशा करता हु की हमारा यह छोटा सा प्रयास उर्दू भाषा को ओपन सोर्स में एक नयी पहचान दिलाएगा और इस महान भाषा का गौरव बना रहेगा !
धन्यवाद !
अभी तो असली मंजिल पाना बाकी है
अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकी है
अभी तो तोली मुट्ठी भर ज़मीं
अभी तोलना असमान बाकी है !