Wednesday, July 10, 2013

मेरी पहली क़िताब - अपना कंप्यूटर अपनी भाषा में

'अपना कंप्यूटर अपनी भाषा में' मेरी पहली क़िताब है...हार्ड कॉपी :-)। अपने कंप्यूटर को आप अपनी भाषा में कर सकते हैं बस थोड़ा सा आपका जुनून चाहिए। यह किताब इसी प्रक्रिया को विस्तार से बताती है। रविकांतजी का बहुत-बहुत शुक्रिया क़िताब की प्रस्तावना के लिए। मित्र महेश भारद्वाज 
का शुक्रिया - मेरी पहली किताब छापने के लिए।

यह क़िताब मैंने माँ-पापा को समर्पित की है। पहली छपी क़िताब देखकर अच्छा लग रहा है। माँ-पापा के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की इच्छा हो रही है।

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